मंगलवार, 25 मई 2010

हकीकत या अंध विश्वास

May 26, 2010
ऊंज (भदोही) । इस अनहोनी की व्यथा पर नजर डाली जाय तो इसकी शुरुआत होती है वर्ष 2006 के अक्टूबर माह में। ऊंज की पुलिस ने एक मामले में ऊंज से सटे गांव मुंगरहा निवासी गुलाब बिन्द को पकड़ा। थाने लायी। आरोप लगा कि लाकअप में पिटाई के चलते उसकी मौत हो गयी और यही से शुरुआत हो गयी ऊंज पर अनहोनी की काली छाया का। विशेष बात यह है कि मौत की सारी घटनाएं उसी मार्ग पर हुई जो गुलाब के घर तक जाता है।

होनी-अनहोनी। सदियों से पहले और सदियों के बाद भी होती रही है। यह अंधविश्वास नहीं बल्कि हकीकत है। ऊंज इसका उदाहरण भी है। इस क्षेत्र में लगातार चार वर्षो से घट रही घटनाएं एक कड़ी की तरह जुड़ी हकीकत में मौत का सिलसिला जारी रखे हुए है।

इस हकीकत की दास्तां यह भी है कि इस क्षेत्र में पिछले लगातार चार वर्षो के दौरान चार बड़ी घटनाओं में चौदह जानें जा चुकी हैं। सभी घटनाएं वर्ष के आखिरी छह महीने में ही होती रही हैं। इसे लेकर ग्रामीणों की एक अच्छी तादात कई तरह की कयास लगाते हुए अनहोनी की आशंका से घिरकर भयभीत भी है। साथ ही यह भी उम्मीद संजोये रखी है कि शायद वर्ष 2010 में सब कुछ बस..अर्थात थम जाय।

हम बात कर रहे हैं काशी-प्रयाग के मध्य स्थित ऊंज थाना क्षेत्र की। इस क्षेत्र में हर वर्ष एक बड़ी घटना हो जाया करती है जिसमें मृतकों की संख्या काफी अधिक होती है। होनी-अनहोनी की इस कड़ी की खास बात यह है कि प्रत्येक वर्ष के आधा सफर पूरा होने के बाद ही बड़ी घटनाएं हुई हैं। अर्थात छठें माह के बाद ही यहां काल ने तांडव मचाया है। एक बार फिर वर्ष का छठा माह शुरू होने वाला है और ग्रामीण अनहोनी की आशंका से भयभीत होते जा रहे हैं। 2006 में घटी घटना के एक वर्ष के अंदर ही वर्ष अगस्त 2007 में ऊंज का बहुचर्चित कांवरिया कांड हुआ। इसमें दो कांवरियों की जानें हादसे में गयींतो एक फायरिंग के दौरान मारा गया। इन तीन मौतों से ऊंज की धरती और लाल हो उठी। अगले वर्ष माह नवंबर 2008 में एक बार फिर ऊंज की सड़कों पर लहू बिखरा। बधाव देकर घर लौट रहे टेला के एक ही परिवार के पांच सदस्यों की ऊंज में ही सड़क हादसे में मौत हो गयी। यह मौैतें ठीक उसी स्थान पर हुई जो मार्ग गुलाब के घर को जाता है और उसी स्थान के पास कांवरियों की मौत भी हुई थी। इसके बाद पिछले वर्ष 2009 के माह सितंबर में इसी क्षेत्र के चौरहटा गांव में संगम गुप्ता सहित एक ही परिवार के पांच सदस्यों को मौत की नींद सुला दिया गया। इस गांव को भी घटना स्थल के पास का वही रास्ता जोड़ता है जो तीन अन्य घटनाओं का भी साक्षी रहा है। वर्ष 2010 का छठा माह दस्तक देने वाला है। ऐसे में ग्रामीण होनी-अनहोनी की आशंका में एक बार फिर भयभीत हो गये हैं। क्या होगा आने वाले महीनों के दिनों में यह तो वक्त पर निर्भर करता है।


एक नजर..वर्ष दर वर्ष

2006-ऊंज थाने के लाकअप में पेशे से फार्मेसिस्ट गुलाब बिन्द की रहस्यमय मौत।

2007-बहुचर्चित ऊंज का कांवरिया कांड।

2008-कलिंजरा (ऊंज) वृहद हादसा।

2009-चौरहटा (ऊंज) नर संहार कांड।



आशंका व उम्मीद में कट रहा दिन

ऊंज थाना क्षेत्र में आशंका व उम्मीद के बीच लोगों का दिन कट रहा है। ग्रामीण होनी-अनहोनी से आशंकित हैं तो वहीं उन्हें उम्मीद की किरण भी दिखायी जा रही है। लगातार चार वर्षो से ऊंज का पीछा कर रही काल की काली छाया के बाबत पंडित दयाशंकर चतुर्वेदी का कहना है कि सभी क्षेत्रवासी मिलकर सुख शांति के लिए यज्ञ धर्म कर्म कार्यक्रम आयोजित करायें तभी क्षेत्र में शांति कायम हो सकेगी।



बरती जा रही सतर्कता:एसपी

ज्ञानपुर (भदोही) : ऊंज क्षेत्र में होने वाली घटनाओं के संबंध में पुलिस अधीक्षक ज्ञानेश्वर तिवारी का कहना है कि बार्डर के क्षेत्रों में क्राइम की घटनाएं अधिक होती हैं। ऊंज क्षेत्र एक्सीडेंट व क्राइम के मामलों में संदिग्ध है। इसको देखते हुए विशेष सतर्कता बरती जा रही है। वाहन चेकिंग के साथ ही पुलिस गश्त भी उस क्षेत्र में अधिक करने का निर्देश दिया गया है।

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