सोमवार, 20 दिसंबर 2010

नक्सलियों ने फिरौती ले छोड़ा


सोनभद्र : जिले के पन्नूगंज थाना क्षेत्र के सिलथम-मऊ संपर्क मार्ग के निर्माण के दौरान दो दिन पूर्व पहुंचे नक्सलियों ने दो का अपहरण कर लिया और जेसीबी चालक समेत दो की पिटाई कर जख्मी कर दिया। अगवा किये गए लोगों को शनिवार को फिरौती लेने के बाद नक्सलियों ने छोड़ दिया। नक्सलियों की धमक से ग्रामीणों में दहशत फैल गई है। पुलिस का कहना है कि जेसीबी चालक व एक मजदूर के बीच मारपीट हुई थी। एक कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा पन्नूगंज थाना क्षेत्र के सिलथम गांव से मऊ कला तक संपर्क मार्ग का निर्माण कराया जा रहा है। सूत्रों की माने तो गुरुवार की शाम नक्सलियों का एक दल कार्यस्थल पर पहुंचा और जेसीबी चालक बलिया निवासी जितेंद्र गोड़ व गाजीपुर जनपद निवासी हरेंद्र यादव की पिटाई करने के बाद दो लोगों को उठा ले गये।

भोजन न बनाने पर ले ली पत्नी की जान


पवई (आजमगढ़) : गुस्सा इंसान को कभी-कभी हैवान बना देता है और उस दौरान वह क्या कर डालेगा, पता नहीं। इसी गुस्से में एक पति ने अपनी पत्‍‌नी को मौत के घाट उतार दिया। पत्‍‌नी का कसूर केवल इतना था कि उसने भोजन नहीं बनाया था। वैसे घटना के पीछे कई कारणों की चर्चा हो रही है। घटना पवई थाना क्षेत्र के ग्राम नाटी में शनिवार को अपराह्न तीन बजे के करीब हुई। यहां सरेला नामक 26 वर्षीया विवाहिता की हत्या कर दी गयी। घटना के बाद पूरा परिवार मौन साधे पड़ा था। किसी तरह से प्रधान राजबहादुर यादव को सरेला के मरने की जानकारी हुई, जिसके बाद उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस ने आरोपी पति को घर से ही गिरफ्तार कर लिया। मिली जानकारी के अनुसार आरोपी पति त्रिवेणी मौर्य तीन भाइयों में सबसे छोटा और घर पर खेतीबाड़ी के साथ भट्ठे पर मजदूरी करता है। उसके बड़े भाई जैसराज व मझले भाई त्रिलोकी मुम्बई में रहते हैं, जबकि दोनों भाइयों का परिवार गांव में अलग-अलग रहता है। घटना वाले दिन सास केवला देवी जब पुराने मकान से नये मकान में भैंस को चारा देने पहुंची तो देखा कि सरेला चारपाई पर अचेत पड़ी है। यह देख उसकी कुछ समझ में नहीं आया और वह वहीं पर बैठी रह गयी। थानाध्यक्ष आरजी आजाद ने बताया कि प्रथम दृष्टया मामला अनिच्छित हत्या का है, आगे की जांच में जो सामने आयेगा उसके अनुसार कार्रवाई की जायेगी।

तलाश : प्रत्याशी के पीछे कौन


वाराणसी : सच मानिए तो ब्लाक प्रमुख सहित सभी अप्रत्यक्ष प्रणाली से लड़े जाने वाले पदों के चुनाव लोकतंत्र का खुला उपहास बन गये है। कहीं पर भी प्रत्याशी की योग्यता को तव्वजो नहीं मिल रही। सिर्फ प्रत्याशी और उसके पीछे की ताकत को ही आंका जा रहा। आज के सभ्य समाज में भी धन और बाहुबल ही अपना लोहा मनवा रहे है। इन सम्मान के पदों पर अब कोई भी पैसों से मजबूत व्यक्ति आसीन हो सकता है। आठों ब्लाक में प्रमुख चुनाव का तमाशा चल रहा है। मूल प्रत्याशी में किसी की दिलचस्पी नहीं है। सभी लोग जानने की कोशिश में है कि इनके पीछे किसकी ऊर्जा (धन,बाहु बल व प्रतिष्ठा) खप रही है। मतलब साफ है कि जो प्रमुख बनेगा वास्तव में वह काम नहीं निबटाएगा। जिसकी ऊर्जा उसके पीछे खपी वही अप्रत्यक्ष रूप में अपना काम साधेगा। ऐसा एक नहीं सभी ब्लाकों में देखने को मिल रहा। ये अलग बात है कि कहीं साधने वालों ने आपसी समझौता कर बड़ी लकीर खींच दी है तो कहीं दावपेंच चल रहा है। महत्वपूर्ण यह है कि कई घराने अधिक से अधिक अपने लोगों को ब्लाक प्रमुख की कुर्सी पर बैठाने की जुगत में लगे है। इस चुनाव में बेचारे मतदाता (बीडीसी)की स्थिति काफी निरीह दिख रही। उनके विजयी प्रमाण पत्र किसी न किसी दबंग ने अपने पास दबा रखा है। कुछ मतदाताओं को बाहर घूमने जाने की भी बात कही जा रही है। चुनाव तक इनकी जिंदगी सांसत में पड़ी हुई है। इन दिनों गांव-गांव में चर्चा मतदाताओं की बोली लगने की हो रही। इसी पर चटकारे लेकर बातें की जा रही है। वैसे कोई भी मतदाता ये स्वीकार करने को तैयार नहीं हो रहा कि उसे कुछ मिला भी है। हां, मदद देने वालों के समर्थक अपने प्रत्याशी की विजय के प्रति आश्वस्त होने का कारण चुकता की गई राशि को ही बता रहे है। साथ में मतदाता के हस्तगत प्रमाणपत्र उनके पास सबूत के रूप में है। कहीं विधायक ने अपनी नाक फंसा रखी है तो कहीं सांसद, पूर्व सांसद या मंत्री की इज्जत दांव पर है। एकाध जगह ऐसा भी देखने को मिला कि परस्पर विरोधी खेमे भी जुगाड़ चुनाव में साथ-साथ हो गए है। प्रमुख चुनाव में ज्यादा बड़े इसलिए भी कूद गए है क्योंकि जिला पंचायत चुनाव बिना लड़े ही फरिया गया। वह भी नवोदित अध्यक्ष की लोकप्रियता थी या दमखम। वह तो अंदरखाने की बात है। इस पर ज्यादा चर्चा करना इस कारण भी बेमानी है कि जब चुनावी व्यवस्था ही ऐसी है तो अवसर पाने वाला अपने हिसाब से सेटिंग करेगा ही।

सारनाथ में धराया संदिग्ध

वाराणसी : सारनाथ क्षेत्र में घूम रहे एक संदिग्ध युवक को पुलिस ने रविवार को हिरासत में ले लिया। उससे पूछताछ चल रही है। वह बार-बार बयान बदल रहा है। फिलहाल उससे कोई खास जानकारी नहीं मिल पायी है। पूछताछ में युवक ने खुद का नाम शेर अली निवासी समस्तीपुर (बिहार) बताया। पहले उसका कहना था कि वह अपनी ससुराल दल श्रृंगारपुर (समस्तीपुर) जाने के लिए तीन दिन पहले ट्रेन से रवाना हुआ। ट्रेन में उसे नींद आ गई। जब नींद खुली तो ट्रेन औडि़हार स्टेशन पर पहुंच चुकी थी। वह ट्रेन से उतरा और गाजीपुर से आ रही बस में बैठकर आशापुर पहुंच गया। बाद में कहने लगा कि वह घर से दिल्ली के लिए चला। कैंट स्टेशन को दिल्ली समझकर उतर गया। बाहर निकला तो गाजीपुर की बस में यह सोचकर बैठ गया कि यह हाजीपुर (बिहार) जा रही है। बहरहाल युवक को संदिग्ध स्थिति में घूमते देखकर क्षेत्रीय लोगों ने पुलिस को इसकी जानकारी दी। पुलिस उसे लेकर थाने चली गई। उसके पास से एक मोबाइल और दो सिम मिले। दो सिम के बाबत पूछने पर उसने बताया कि वह दिल्ली की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी का ठेला खींचने का काम करता है। दूसरा सिम दिल्ली का है जिसे वहां जाने पर वह मोबाइल में लगा लेता है। पुलिस ने उसके बताए नंबर पर कॉल किया तो साले से बात हुई। पुलिस ने उसे सारी बात बतायी। इसके साथ ही वह यहां के लिए रवाना हो गया। हिरासत में लिया गया युवक कुछ मंदबुद्धि लग रहा है। पुलिस उसके साले के पहुंचने का इंतजार कर रही है।

अगवा छात्र घर लौटा

मिर्जामुराद : कार सवार बदमाशों द्वारा शनिवार को कथित रूप से अपहृत भोजूपुर (रूपापुर) निवासी रतन गौड़ उर्फ पुजारी (16 वर्ष) रविवार को नाटकीय ढंग से लौट आया। उसने पुलिस को धोखे में अपहरण होने की कहानी सुनाई है। इस घटना को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। बताते हैं कि रतन के पिता राजबली प्रसाद गौड़ कई वर्षो से दमन (गुजरात) में रहकर फल का कारोबार कर रहे हैं। राजबली के तीन बेटों में दूसरे नंबर का रतन कक्षा 10 का छात्र है। उसकी सोमवार से अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा होनी है लेकिन पेट की बीमारी के चलते वह चार माह से स्कूल नहीं जा पा रहा है। परिजनों ने बताया कि शनिवार को रतन किसी काम से घर से निकला और घर नहीं लौटा। रात तकरीबन 11 बजे उसने अपने मोबाइल से घर पर मौजूद मां राधिका को फोन किया कि रूपापुर चौराहा से पैदल घर आते समय कार सवार बदमाशों ने उसका अपहरण कर लिया है। खास बात यह कि कथित अपहर्ताओं ने किसी तरह की फिरौती की मांग नहीं की। रविवार को सवेरे रतन के बड़े भाई बाबा गौड़ ने ग्राम प्रधान हरिवंश उर्फ बबलू सिंह के साथ थाने पहुंचकर अपहरण की बाबत जानकारी दी। पुलिस मामले की तफ्तीश कर ही रही थी कि पता चला कि अपहर्ताओं ने उसे गोपीगंज (भदोही) के पास लाकर छोड़ दिया है। एसओ त्रिवेणी सेन मौके पर पहुंचे और रतन को लेकर थाने आए। पूछताछ में रतन ने बताया कि कार सवार बदमाशों की संख्या चार थी। उनके पास असलहे भी थे। बदमाशों ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया था। देर रात वहां एक और व्यक्ति 4 लाख रुपये लेकर आया और रतन को देखकर कहा कि यह उक्त बच्चा नहीं है। उसने बदमाशों को 2 लाख रुपये दिए और चला गया। इसके बाद ही बदमाशों ने उसकी आंख पर पट्टी बांधी और लाकर गोपीगंज में छोड़ दिया।
साभार:दैनिक जागरण